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00:00 - राधा नाम 02:40 - काशी और वृंदावन में आपकी आध्यात्मिक अनुभूति में क्या अंतर आया? 04:44 - दो बार घर छोड़ चुका हूँ, पर फिर वापस चला आया। वह समय कब आएगा जब मैं पूर्ण समर्पित हो जाऊँगा? 10:40 - प्रतिकूलता आने पर सबसे पहले मन शरीर में ही जाता है। 12:47 - करुणा और क्षमा की क्या भूमिका है? 14:07 - आप और आपके वचनों पर पूर्ण विश्वास हो गया है। 16:27 - साधक किसी भी नियम आदि के लिए जिद्दी स्वभाव कैसे लाए? 19:43 - आश्रय क्या है, और इसे कैसे पुष्ट करें? 23:14 - जैसे आत्मा का स्वरूप एक ही होता है, तो क्या गुरु-तत्व का स्वरूप भी एक ही है? 24:58 - 25:53 - प्रभु को देखने के लिए दिव्य दृष्टि कैसे प्राप्त होगी? 28:41 - व्यावहारिक जीवन में अकेले रहने की क्या सीमा है? 30:53 - कभी-कभी श्रीजी के लिए विकलता का अनुभव होता है। 32:31 - बुरे लोगों के बीच काम करने पर मेरा मन भी बुरा हो जाता है। 35:19 - बच्चे बात न मानें तो क्या उन्हें डाँटना चाहिए? 37:33 - मुझे बस भगवत्प्राप्ति करनी है — मैं क्या करूँ? 38:11 - अपनी गलतियों के कारण हर काम में विफल हो रहा हूँ। 40:50 - Amogh Lila Prabhu और पूज्य महाराज जी के बीच क्या वार्तालाप हुई ? 48:12 - अगर गृहस्थ जीवन में सुख-सुविधाओं के बीच भी भगवत्प्राप्ति हो सकती है तो बाबा क्यों बनें? Bhajan Marg by Param Pujya Vrindavan Rasik Sant Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj, Shri Hit Radha Keli Kunj, Varah Ghat, Vrindavan Dham Google Map Link: https://goo.gl/maps/nZYKt1sJaMyCVRNS7 For More Video of Satsang and Ekantik Vartalaap of Pujya Maharaji's :- For English translation: Bhajan marg English : https://www.youtube.com/channel/UCU5NTShqBuq_u7hMc0P_tIg...